पड़ोसी भाभी को सरसो के खेत में बजाया – भाग २
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keyboard_arrow_left पड़ोसी भाभी को सरसो के खेत में बजाया – भाग १
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मैं भाभी के नंगे जिस्म से लिपटा हुआ था। फिर मैंने भाभी को पलट दिया। अब मैं भाभी के जिस्म पर चढ़ गया और उनके मजबूत कंधों और कानों पर किस करने लगा। भाभी चुपचाप सरसों के बिस्तर के लेटी हुई थी। उनका गोरा चिकना जिस्म सरसों के खेत में हरा भरा हो चुका था।
उनकी गांड और गोरे जिस्म पर जगह जगह पर मिट्टी की रगड़ और पत्तों की रगड़ लगी हुई थी।
मैं बुरी तरह से भाभी की पीठ को किस कर रहा था। फिर मैं किस करता हुआ भाभी की गांड पर आ गया और फिर मैं भाभी के सुडोल मस्त चुतडो पर टूट पड़ा।
भाभी की गांड वाकई में बहुत ज्यादा सेक्सी थी। उनके गोल गोल चिकने चूतड मुझे पागल सा करने लगे। अब मैं भाभी के चुतडो को ताबड़तोड़ तरीके से किस कर रहा था। भाभी की गांड पर किस करने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
“ओह भाभी आह जितनी सेक्सी आप हो उतनी ही सेक्सी आपकी गांड है।” भाभी चुप थी। मैं उनकी जवानी को लूट रहा था। मैं भाभी की गांड पर जमकर किस कर रहा था। भाभी गांड को इधर उधर हिला रही थी लेकिन मैंने भाभी की गांड को कसकर पकड़ रखा था।
अब मैंने भाभी को सीधी किया। अब मैं भाभी के चुचियों पर टूट पड़ा और फिर से भाभी के चुचियों की लंका लूटने लगा। “उन्ह ओह मोहित आह चू्त। दबाकर चुस मेरे स्तन को। आह।”
“हाँ भाभी पूरा निचोड़ डालूँगा आज इन्हें।”
भाभी के रसीले चुचियों का मैं पूरा मज़ा ले रहा था। मैंने फिर से भाभी के चुचियों को बुरी तरह से चुस डाला। भाभी अब शर्म को ताक पर रखकर उनके चुचियों का रस पिला रही थी।
“ओह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है। ओह्ह् सिस।”
फिर मैंने भाभी के चुचियों को रगड कर चूस डाला। अब मैं तुरंत भाभी की चूत पर आ गया और भाभी की चूत में उंगलियाँ घुसा दी। अब मैं भाभी की चूत में ताबड़तोड़ उँगली करने लगा। भाभी की चूत में उँगली करने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
भाभी दर्द से कसमसा रही थी। वो फिर से सरसों को मरोड़ने लगी थी। मैं ज़ोर ज़ोर से भाभी की चूत में घुसा रहा था।
“ओह भाभी आह! आपकी चूत में तो बहुत ज्यादा आग लगी है। आह।”
“आहाँ आहार आहाहाहा उन्ह ओह सिससस्स आह आहार आहाँ ओह मोहित।”
भाभी सर्दी के मौसम में पसीने में भीग गई और भाभी का पानी निकल गया। अब मैंने भाभी की चूत पर मुंह लगा दिया और फिर मैं भाभी की चूत चाटने लगा। अब भाभी मेरे बालो को संवार रही थी। मैं भाभी की चूत चाट रहा था।
फिर मैंने थोड़ी देर में ही भाभी की चूत चाट कर साफ कर डाली। अब मैंने फिर से भाभी की चूत में लण्ड रखा और मैं फिर से भाभी को चोदने लगा।
“अहह आह अहं आह सिससस्स उन्ह ओह आह अहा।”
“भाभी बहुत गजब की माल हो तुम। ”
“बजा ले आज तेरी मस्त माल को।”
“हाँ भाभी खूब बजाऊंगा आज तो तुझे।”
मैं भाभी की टांगे पकड़ कर उन्हें झमा झम चोद रहा था। अब मेरे लण्ड के झटकों से भाभी के स्तन बुरी तरह से हिल रहे थे। फिर मैंने भाभी को थोड़ी देर ऐसे ही बजाया। अब मैंने भाभी से घोड़ी बनने के लिए कहा।
“यार अब तू मुझे घोड़ी भी बनाएगा क्या?”
“हां भाभी।”
अब भाभी घुटनो के बल घोड़ी बन गई। अब मैं भाभी की चूत में लण्ड सेट करने लगा। तभी मैंने भाभी की चूत में लंड सेट कर ज़ोर से भाभी की चूत में लंड ठोक दिया। अब मैं भाभी को दे दना दन बजाने लगा।
“ओह्ह्ह भाभी बहुत मज़ा आ रहा है।”
अब मैं भाभी को घोड़ी बनाकर जमकर बजा रहा था। मेरा लण्ड झमा झम भाभी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था। मैं भाभी की कमर पकड़ कर उनकी चूत में झमा झम लण्ड पेल रहा था। सरसों के खेत में भाभी को घोड़ी बनाकर बजाने में मुझे अलग ही मज़ा आ रहा था।
“आज तो जमकर लूंगा भाभी तेरी।”
“ले ले साले कमीने।”
भाभी जमकर लंड ले रही थी। सरसों के पौधे भाभी की ठुकाई का नजारा देख रहे थे।
“ओह्ह्ह मेरे सैया।”
“ओह मेरी रानी। गजब की माल है तू।”
तभी ताबड़तोड़ ठुकाई से भाभी की चूत पूरी खुल चुकी थी। भाभी की चूत का गुलाबी हिस्सा बाहर नज़र आने लगा था। तभी भाभी फिर से कांप उठी और अब उनकी चूत से पानी नीचे टपकने लगा। मैं भाभी की चूत में लण्ड पेलें जा रहा था।
अब मेरे लंड के झटको के साथ भाभी का पानी सरसों के पत्तों पर गिर रहा था। फिर मैंने बहुत देर तक भाभी को घोड़ी बनाकर बजाया। अब मैंने भाभी को मेरी तरफ घुमाया और फिर भाभी से मेरा चूसने के लिए कहा। तभी भाभी लण्ड चूसने के लिए मना करने लगी।
“यार ये बहुत गन्दा लगता है।”
“अरे भाभी आप पहले चुसो तो। अच्छा ही लगेगा।”
तभी मैंने भाभी के हाथ में लंड पकडा दिया। तभी भाभी मुसकुराती हुई मेरा लंड मसलने लगी।
“कमीने तू नहीं मानेगा।”
अब भाभी मेरा मोटा काला लंड मसलने लगी।
“बहुत ही मस्त मोटा तगड़ा लौड़ा है तेरा तो। मैंने तो सोचा ही नहीं था यार कि तेरा इतना बड़ा भी होगा।”
“अब तो आपने देख भी लिया और ले भी लिया ना भाभी।”
“हां यार बहुत मज़ेदार है तेरा लण्ड।”
अब भाभी मेरे लंड को मुंह में दबा लिया। अब भाभी मेरे लण्ड को चूसने लगी। आह! भाभी को लण्ड चुसाने में मुझे बहुत मज़ा आने लगा।
” आह भाभी चूसो आह ।”
भाभी कसाकर मेरे लण्ड को चुस रही थी। वो मेरे काले लण्ड को उनके गोरी मुंह में ले रही थी। सरसों के पौधे भाभी की लंड चुसाई देख रहे थे।
“ओह भाभी आह बहुत अच्छा लग रहा है। आह। बस मेरे लंड को ऐसे ही मजे दो।”
सरसों के खेत में भाभी मेरे लण्ड को चूसे जा रही थी। भाभी को देखकर लग रहा था कि भाभी भी बहुत भूखी थी। वो मेरे काले लण्ड को चुस चूसकर लाल कर चुकी थी।
“ओह्ह्ह भाभी बहुत कमाल की माल हो तुम। आहह मज़ा आ गया आज तो।”
भाभी अलग अलग तरीके से मेरे लंड के साथ खेल रही थी।
“ओह्ह्ह भाभी बहुत मजेदार हो तुम।”
अब मैंने भाभी के सिर को पकड़ा और फिर भाभी को ऐसे के ऐसे ही लेटा दिया। अब भाभी सरसों के पत्तों से बने बिस्तर पर लेट चुकी थी। अब मैं गांड हिला हिलाकर भाभी के मुंह को चोदने लगा । अब मुझे भाभी के मुंह को चोदने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
मैं झमा झम भाभी के मुंह को चोद रहा था। भाभी भी लपालप मेरे लण्ड को ले रही थी। मैं भाभी के मुंह में ताबड़तोड़ लण्ड ठोक रहा था। सरसों के पौधे और पक्षी इस यादगार पल के गवाह बन रहे थे।
“ओह्ह्ह भाभी बहुत मज़ा आ रहा है। आह।”
मैं जमकर भाभी के मुंह में लंड पेल रहा था। अब मैं नीचे लेट गया और भाभी मेरे लंड पर बैठ गई। अब भाभी उच्छल उच्छल कर चुदने लगी। उन्हें मेरे लण्ड की सवारी करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
भाभी के मस्त स्तन जबरदस्त तरीके से उच्छल रहे थे। सरसों के पौधे और पक्षी भाभी का घमासान देख रहे थे।
“आह सिसस्स आह ऊहा ओह कुत्ते आह बहुत मज़ा आ रहा है।”
“हाँ मेरी रानी। मिटा ले आज तेरी चुत की खुजली।”
“हाँ मेरे राजा। बहुत खुजली हो रही है मेरी चूत में।”
तभी भाभी और ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगी। अब जोरदार झटकों से भाभी का जिस्म पसीने में भीगने लगा था। भाभी बहुत ज्यादा चुदासी लग रही थी। भाभी की आँखों में लण्ड की भूख बहुत ज्यादा नज़र आ रही थी।
“आह उच्चल सिससस्स आह ओह साले हारामी। आह।”
“ओह मेरी रानी आह।”
तभी थोड़ी देर में जोरदार झटकों से भाभी का पानी निकल गया। लेकिन भाभी फिर भी नहीं रुक रही थी। वो झटके मारे जा रही थी। लेकिन भाभी ज्यादा देर तक घमासान नहीं मचा पाई और ढेर हो गई।
अब फिर से मेरे लंड को मौका मिल चुका था। अब मैंने भाभी को सरसों के बिस्तर पर पटक दिया और फिर भाभी की टांगे खोल उनकी चूत में लंड सेट कर दिया। अब मैं भाभी की फिर से घमाघम ठुकाई करने लगा।
“आराम से बजा मेरे सैया।”
“आराम से ही चोद रहा हूँ मेरी रानी।”
तभी भाभी चुप हो गई। मैं खचाखच भाभी की चूत में लंड पेले जा रहा था। मेरे लंड के झटको से भाभी बुरी तरह से बौखला रही थी। उनके स्तन उच्छल उच्छल कर पड़ रहे थे।
“ओह मेरी रानी बहुत मज़ा आ रहा है।”
तभी धुआंधार ठुकाई से भाभी का पानी निकल गया। अब पच्च पच्च की आवाजों के साथ साथ भाभी का पानी सरसों के पत्तों पर टपक रहा था। मैं भाभी को बजाए जा रहा था। अब भाभी के पानी की खुशबू सरसों की खुशबू में घुलने लगी थी।
भाभी और मैं चुदाई के अनन्त सागर में गोते लगा रहे थे। मैं आज भाभी को चोदने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था। मेरा लंड आज भाभी की कली कली खिला चूका था।
“मोहित जल्दी कर यार अब। चाची जी इंतज़ार कर रही होगी।”
“भाभी चोदने दो यार। चाची तो वैसे भी समझदार है।”
“लेकिन फिर भी यार तु जल्दी कर अब।”
भाभी को अब जाने की जल्दी थी और मैं अभी भी भाभी की लेने में लगा हुआ था।
“ओह आहह सिस उन्ह आईई। बस हो गया ना यार।”
” हाँ भाभी बस हो ही गया।”
तभी जोरदार ठुकाई के बाद अब मेरा लंड पानी छोड़ने वाला था। अब मैंने अचानक भाभी के भोसड़े में खलबली मचा दी। भाभी फिर से सातवें आसमान में पहुँच गई। थोड़ी देर में ही मेरे लंड के झटकों से भाभी बुरी तरह से हिल गई।
और फिर मैंने भाभी की चूत में लंड का पानी निकाल दिया। अब मैं निढाल होकर भाभी से लिपट गया। आज मैं भाभी की चूत का स्वाद चखकर बहुत ज्यादा खुश था। भाभी भी मेरे लंड से खुश नजर आ रही थी। हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए थे।
सरसों के खेत में अब तूफान थम चुका था। हमारे कपड़े सरसों के पौधों पर अटके पड़े थे। धुआंधार तूफान से सरसों के बहुत सारे पौधे टूट चुके थे।
“ओह मोहित बहुत बुरी तरह से बजाया तूने मुझे। मैंने तो ऐसा सोचा भी नहीं था।”
“मुझे भी आपको चोदने की उम्मीद नहीं थी लेकिन आज आपने मेरे लंड को चूत का भरपूर मजा दे दिया।”
अब हम दोनों उठ गए और फिर अपने अपने कपड़े ढूंढकर पहनने लगे। भाभी का गौरा चिट्टा जिस्म हरा भरा हो चुका था। जगह जगह उनके जिस्म पर मिट्टी और सरसों के पौधों की रगड लगी हुई थी। अब हमने कपड़े पहन लिए।
अब हम सरसों के खेत से बाहर आने लगे। सरसों के टूटे हुए पौधे और पत्तों का बिछा हुआ बिस्तर देखकर कोई भी अंदाज़ा लगा सकता है कि यहाँ क्या हुआ होगा? अब मैं भाभी का हाथ पकड़कर उन्हें खेत से बाहर ला रहा था। तभी मैंने भाभी पर तगड़ा पंच मारा।
“भाभी एक बार और चोदने का मन कर रहा है।”
“अब ज्यादा लालची मत बन।”
अब हम खेत से निकलकर मेढ़ पर आ चुके थे। मैं भाभी को फिर से पटाने की कोशिश में था लेकिन भाभी अब कंजूस हो रही थी। अब वो चूत देने को तैयार नहीं हो रही थी।
फिर हम शीला चाची के पास पहुँच गए। चाची मेरी चेहरे की खुशी को देखकर समझ गई कि मेरा सेटिंग भाभी से हो चुका है।
“और बता मोहित शालू को खुश तो कर दिया ना तूने?”
“हाँ चाची अच्छे से पानी पिलाया है मैंने भाभी को। मुझे लगता है अब मेरा सेटिंग पक्का हो चुका है।”
“अच्छा! हाँ चाची।”
“और तु बता शालू सब अच्छा रहा ना?”
“थोड़ी दिक्कत तो हुई लेकिन मज़ा खूब आया चाची जी।”
“मैंने तो तुझसे पहले ही कहा था कि मोहित तुझे जमकर मज़ा देगा।”
“हाँ चाची जी खूब मज़ा दिया है मोहित ने।”
फिर हम थोड़ी देर और घूमकर खेत पर से वापस आ गए। आज मैं भाभी को पेलकर बहुत ज्यादा खुश था।
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